टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (14 नवंबर, 2024): नोएडा में बीएचईएल और नोएडा प्राधिकरण द्वारा स्थापित 4 करोड़ रुपये की लागत से बना स्मॉग टावर अब हटा दिया गया है। इस टावर के साथ-साथ उसका उद्घाटन बोर्ड भी हटा लिया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह परियोजना पूरी तरह से निरस्त कर दी गई है।
पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक दुनियाभर में असफल हो चुकी है और उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि यह परियोजना 4 करोड़ रुपये और सीएसआर फंड्स का अपव्यय साबित होगी। उनका कहना था कि स्मॉग टावर जैसी दिखावटी पहलें प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकतीं।
विक्रांत तोंगड़ ने कहा, “अगर हमारे एजेंसियां वायु प्रदूषण को सही तरीके से नियंत्रित करना चाहती हैं, तो उन्हें इसके असली कारणों पर काम करना होगा। केवल दिखावटी उपायों से प्रदूषण का स्तर कम नहीं किया जा सकता।” उन्होंने वायु प्रदूषण के स्रोतों को खत्म करने पर जोर देते हुए कहा कि जब तक प्रदूषण के वास्तविक कारणों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक प्रदूषण की समस्या बनी रहेगी।
स्मॉग टावर की स्थापना के दौरान दावा किया गया था कि यह शहर के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करेगा। हालांकि, पर्यावरणविदों का कहना है कि यह तकनीक अन्य देशों में भी असफल साबित हो चुकी है और इससे वास्तविक समाधान नहीं मिल सकता।
स्मॉग टावर हटाने के कारण:
1. दुनिया भर में इस तकनीक की असफलता।
2. 4 करोड़ रुपये और सीएसआर फंड्स का अपव्यय।
3. प्रदूषण के असली कारणों पर काम न करना।
पर्यावरणविदों की मांग:
1. वायु प्रदूषण के असली कारणों पर काम किया जाए।
2. प्रदूषण के स्रोतों को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
यह घटना नोएडा में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर और इसके समाधान के उपायों को लेकर उठते सवालों का नया पहलू है। अब यह देखना होगा कि शहर की एजेंसियां प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कौन से वास्तविक और प्रभावी कदम उठाती हैं।।
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