नॉएडा : मारवाह स्टूडियो में चल रहे तीन दिवसीय ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल आज अंतिम दिन में
हिंदी दिवस के उपलक्ष में कविताओं के मंथन पर अपने अपने विचारो से छात्रों को सम्बोदित किया ,
जाने माने कवि और लेखक लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि किसी विषय पर कविता लिखना आसान है पर अपनी रोज़मर्रा की बातों को कविता में ढालना बड़ा ही मुश्किल है, क्योकि अपने आपको कविता में ढालना स्वयं का मंथन है। मेरी कल्पना है की असली और संवेदनशील कविता लोगो तक पहुंचे। किसी बहुत बड़ी बात को कविता के रूप में तीन चार पंक्तियों में कह जाना बस वही कवि है।
इस मोके पर लेखिका और फिल्म डायरेक्टर डॉ. लवलीन थडानी, कथक नृत्यांगना शोवना नारायण, डॉ. मृदुला टंडन और लेखक अनूप बोस उपस्थित हुए। साथ ही लवलीन थडानी की पुस्तक ‘माय सोल फ्लॉवर’ का विमोचन किया गया, उन्होंने कहा की मेरी पुस्तक मेरे ह्रदय को छूती हुई है इसमें आम भाषा की कविता आपको मिलेंगी, जहाँ तक हमारे साहित्य की बात है तो साहित्य समाज का दपर्ण ही नहीं बल्कि सबसे अच्छा साथी है क्योंकि साहित्य का अपना कोई स्वार्थ नहीं होता और भारत का साहित्य, ज्ञान, वेद व पुराण महान है और विश्व ने जो तरक्की की है वह हमारे वेद पुराणों की ही देन है।
शोवना नारायण ने बताया की नृत्य की जो भाव भंगिमा होती है वह अपने आप में बहुत कुछ कह जाती है जो शब्द नहीं कह पाते और जो इसके संगीत और भाव को समझ सकता है वह कुछ भी कर सकता है।
इस अवसर पर संदीप मारवाह ने कहा की जब आप लेखक कवियों के बीच बैठते हो की वहां का पूरा माहौल सूफियाना हो जाता है और जहाँ तक लक्ष्मी शंकर की बात है उनका एक एक शब्द न जाने कितनी कविता कहानी कह जाता है। आज समारोह के अंतिम दिन में कह सकता हूँ की हमने इन तीन दिनों में वो सब सुना है जो हम कभी भूल नहीं पाएंगे और यह हमारी पूरी ज़िन्दगी काम आएगा।