नोएडा : अम्बेडकर की जयंती पर कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन , मशहूर कवियों ने दी अद्धभुत प्रस्तुति

नोएडा :– संविधान निर्माता डा भीमराव अम्बेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन, ‘सनेही मंडल’ नोएडा ने टेन न्यूज के साथ संयुक्त रूप से ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य ओम नीरव ने किया। साथ ही कवि सम्मेलन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य संजीव वर्मा “सलिल”तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रतिष्ठित साहित्यकार राज किशोर मिश्र मोहमदी शामिल हुए। वही इस कार्यक्रम का संचालन ओज व व्यंग कवि अटल मुरादाबादी ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य संजीव वर्मा “सलिल” द्वारा प्रस्तुत मां शारदे की वंदना के साथ किया गया। कवि सम्मेलन के प्रारंभ में आचार्य ओम नीरव ने *कविता का मर्म-कवियों का धर्म* पर उद्बोधन दिया तथा नवांकुर रचनाकारों का मार्गदर्शन किया। आज जिस तरह कविता के नाम पर कवि सम्मेलनों में फूहड़पन परोसा जा रहा है,इस पर जोर देते हुए उन्होंने सभी रचनाकारों से मर्यादित रहने की अपील की।

वरिष्ठ साहित्यकार बसंत कुमार शर्मा ने अपनी रचनाओं से काव्य की मनोहारी धारा बहाकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने पढा—
*पाप सब अपने मिटाने चल दिए*,
*लोग गंगा में नहाने चल दिए*,
*तीर्थ घर में है हमारे सोचकर*
*पाँव हम माँ के दबाने चल दिए*।
बाबा कानपुरी ने डॉक्टर अंबेडकर के संदेश मे निहित समरसता की गंगा इस तरह प्रवाहित की—–
*सुख दुख है मेहमान सरीखे, एक आता एक जाता है।*
*जो आ जाए, मीत समझ कर बस उसका सत्कार करो।*
अटल मुरादाबादी ने सवैया छंदों के माध्यम से योगेश्वर कृष्ण के रूप की छटा बिखेरी और पढ़ा—

*मोहि चिढावत बात बनावत,मोहन मातु रहे समुझावत*।
*गोद लियो नहिं मातु जनो हरि गोकुल ग्वाल रहे बतियावत*।

आचार्य संजीव वर्मा सलिल ने अपने दोहों के माध्यम से व्यंग की धारा कुछ इस तरह बहाई।
*ओवर टाइम कर रहे, दिवस रात यमदूत*।
*शाबाशी यमराज दें,भत्ते बांट अकूत*।
राजकिशोर मिश्र मोहमदी ने अपने छंदों से सभी का मन मोह लिया, उन्होंने पढ़ा—–
*जो किया करता सदा निज कर्म है*।
*जानता वह ज़िन्दगी का मर्म है!*
आचार्य ओम नीरव ने अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए कार्यक्रम को उत्कर्ष पर पहुचा दिया और व्यंग करते हुए कहा——
*शब्द से सत्य को मैं छलूँगा नहीं*।
*तालियों के चषक में ढलूँगा नहीं।*
*ओ शमा! मैं पतंगा नहीं, गीत हूँ,*
*ख्याति की ज्योति में मैं जलूँगा नहीं*।

दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन ‘सनेही मंगल’ नोएडा के अध्यक्ष बाबा कानपुरी ने धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम को सम्पन्न किया।