सूर्या संस्थान, नोएडा में साहित्यिक एवं संगीत गोष्ठी का भव्य आयोजन

सूर्या संस्थान, नोएडा में एक साहित्यिक एवं संगीत गोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ दीपक श्रीवास्तव द्वारा रचित पुस्तक “विचार गान” का लोकार्पण भी किया गया। साहित्य एवं संगीत से परिपूर्ण इस गोष्ठी में अनेक साहित्यिक विभूतियाँ, प्रशासनिक सेवा अधिकारी, अभियन्ता, चिकित्सक, राष्ट्र्रीय सुरक्षा एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

दीपक श्रीवास्तव द्वारा रचित पुस्तक “विचार गान” की साहित्यिक समीक्षा करते हुए श्री देवेन्द्र मित्तल ने कहा कि रचनाकार अनेक वर्षों से सूर्या संस्थान से जुड़े हुए हैं तथा इनकी रचनाएं देशवासियों के हृदय में राष्ट्र एवं संस्कृति के प्रति आदर भाव को जाग्रत करने का कार्य करती हैं। “विचार गान” में प्रकाशित रचनाएं जीवन के विभिन्न पहलुओं को राष्ट्र्रीय धारा से जोड़ते हुए व्यक्ति को जीवन के अर्थ से जोड़ने की दिशा में सार्थक दिशा देती है।

कार्यक्रम में उपस्थित एयरटेल के नेशनल ऑपरेशन हेड श्री रवि प्रकाश ने कहा कि इतने कम आयु में देश एवं संस्कृति हेतु दीपक का समर्पण सराहनीय है जिसकी प्रत्यक्ष झलक इनकी रचनाओं में दिखाई देती है। वरिष्ठ अभियन्ता श्री सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि विचार गान में अनेक ऐसी रचनाएं हिन्दी में काव्य रूपांतरित हैं जो अब तक संस्कृत में ही उपलब्ध थीं। हिन्दी काव्य में उनके पुनर्सृजन से लोगों को इनके अर्थ समझने में आसानी होगी।

गाजियाबाद से पधारी जॉइन्ट कमिश्नर सुश्री निधि गुप्ता ने कहा कि तकनीकी सेवा से जुड़े होने के बावजूद दीपक जी का अध्ययन एवं देश की संस्कृति को समर्पित रचनाएं अनुकरणीय हैं। एक ओर जहाँ विचार-गान श्री रुद्राष्टकम का हिन्दी काव्यानुवाद पूरे भावनाओं के साथ रखती है, वहीँ श्री दुर्गा सप्तशती से लिए गए कुछ मन्त्रों के काव्यानुवाद मनुष्य की सभी पीड़ाओं को हर लेते हैं। इतना ही नहीं विचार- गान जहाँ कश्मीर पीड़ितों के दर्द एवं घटनाक्रम को मजबूती से उकेरती है, वहीँ “स्वयं का अनुभव एक प्रयोग” द्वारा संसार के रहते हुए ही बन्धनों से ऊपर उठकर जीने का नया दृष्टिकोण प्रदान करती हैं।

प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ रमेश वर्मा ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौर का प्रभाव लगभग सभी लोगों पर पड़ा है। ऐसी परिस्थिति में श्री दीपक श्रीवास्तव द्वारा रचित “विचार-गान” निश्चित रूप से लोगों के अन्दर के विश्वास को मजबूत करते हुए उन्हें जीवन का नया दृष्टिकोण देने में सहायक होगा।

श्री दीपक श्रीवास्तव ने “विचार-गान” के सृजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह रचनाएं किसी अकेले व्यक्ति द्वारा सृजित नहीं हो सकता बल्कि स्वयं ईश्वर इन्हें रचकर किसी न किसी के माध्यम से समाज को देने का कार्य करते हैं। “विचार-गान” इसी का एक नमूना है। उन्हें अपनी एक कविता द्वारा इस भाव को व्यक्त भी किया “बिना तुम्हारे कण न डोले, कण्ठ मेरे पर तू ही बोले। तुम्हीं भाव, तुम ही स्वर मेरे, हम तो केवल करते फेरे।

पुस्तक लोकार्पण के बाद एक संगीत सभा का आयोजन भी हुआ जिसमें सभी गणमान्य लोगों ने अपने सुरों द्वारा कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्री देवेन्द्र मित्तल, मेजर सुनील, सुश्री निधि गुप्ता, श्री के के खन्ना, श्री रवि प्रकाश, श्री सुनील श्रीवास्तव, श्रीमती किरण श्रीवास्तव, डॉ रमेश वर्मा, डॉ शरद माथुर, श्रीमती माथुर, श्री रितेश डे, श्री भास्कर झा, श्री अमित मित्तल, श्री परवेज आलम समेत अनेक गणमान्य विभूतियाँ उपस्थित रहीं।