सीईओ नोएडा को सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी, ‘आदेश ना मानने पर झेलना होगा नतीजा’

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (09/05/2022): रितु माहेश्वरी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जारी गैर जमानती वारंट और पेशी के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। जहां उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी झटका मिला है सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को राहत देने से साफ इनकार कर दिया।

अभी कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी के खिलाफ गुरुवार को गैर जमानती वारंट जारी किया था और अवमानना के मामले की सुनवाई की अगली तारीख 13 मई को उन्हें पुलिस हिरासत में अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ रितु माहेश्वरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी और इस मामले में राहत देने की मांग की थी।

 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए रितु माहेश्वरी को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करती तो आपको उसका नतीजा झेलना होगा । सुप्रीम कोर्ट से माहेश्वरी के वकील ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए इस मामले में अंतरिम जमानत की मांग की थी ।

 

सुप्रीम कोर्ट ने आईएस रितु माहेश्वरी को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको नियम पता है आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करती है।

 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कहा कि हर दूसरे दिन कुछ अफसर गंभीर मामलों में भी निर्देश के लिए कोर्ट को जाते हैं सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हररोज इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन होता है यह कोई नया मामला नहीं है हर रोज एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है यह क्या है आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने मनोरमा कुच्छल और अन्य की अवमानना याचिका पर अफसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने संबंधी आदेश पारित किया था । नोएडा प्राधिकरण की ओर से 1990 में इन याचिकाओं की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन कानून के मुताबिक आज तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया याचिकाकर्ता 1990 नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

रितु माहेश्वरी ने की कोर्ट के आदेश की अवमानना

28 अप्रैल 2022 को अदालत ने इस मामले की सुनवाई 4 मई को करने का निर्देश दिया था और रितु माहेश्वरी को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा गया था। लेकिन अदालत द्वारा समन जारी किए जाने के बावजूद वह 4 मई को सुनवाई में उपस्थित नहीं हुई इस पर अदालत ने कहा था कि इस तथ्य पर विचार करते हुए इस अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया बावजूद इसके कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा एक रुपए भी मुआवजा दिए बगैर 1990 में अवैध रूप से याचिकाकर्ताओं की जमीन का अधिग्रहण किया था।