जिले को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कोनरवा का मास्टरप्लान, पढ़ें ये रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (08/10/2022): कनरवा ने नोएड़ा में बढ़ते प्रदूषण से नागरिको को हो रही असुविधा को ध्यान में रखते हुए नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रीतु महेश्वरी को शहर की प्रदूषण समस्या से अवगत कराने के संबंध में पत्र लिखकर प्रदुषण कम करने के सुझाव दिए हैं।

नोएड़ा में ही नहीं बल्कि पूरे जिले गौतमबुध नगर में प्रदूषण का स्तर PM 2.5 व PM 10 दोनो ही प्रायः इन दिनो में मानकों से बहुत अधिक रहता है, तथा 01 अक्टूबर से GRAP भी लगा दिया गया है। वर्तमान में तो प्रदूषण का स्तर PM 2.5 व PM 10 दोनों का ही नोएड़ा सहित पूरे गौतमबुध नगर में खतरे के स्तर पर पहुंच चुका है।

जिससे नागरिकों के द्वारा सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, तथा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। तथा आने वाले दिनो में यह और भी ज्याद होने की संभावना है, क्योंकि सर्दियों का मौसम शुरू होने जा रहा है, साथ ही त्योहारों में दिपावली व छठ जैसे त्योहार आ रहे हैं जिस पर अतिशबाजी व पटाखो से प्रदुषण का स्तर बढ़ता है। इसीलिए शहर की स्वच्छता अभियान के मॉडल पर प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए तुरन्त काम शुरू करना चाहिए तथा शहर को सबसे प्रदुषित 10 शहरो की श्रेणी से निकाला जाना चाहिए जिसके लिए हम सभी को मिल कर कार्य करना होगा।

वायु प्रदूषण का उत्पति (ओरिजन) कहीं से भी हो वह, हवा के साथ अन्य क्षेत्रों में भी फैलता है। अतः पूरे नोएड़ा ग्रेटर नोएड़ा क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक साथ उत्पति (ओरीजन) के सभी स्रोतों पर नीति बनाकर एक साथ कार्यवाही करने की आवश्यकता है, तथा जनता को भी जागरूक करने की आवश्यकता है।

नोएड़ा में प्रदुषण के उत्पति (ओरीजन) के निम्न मुख्य कारण हैः-

निर्माण कार्य भी मानको पर चारों तरफ से ढ़क कर किया जाना चाहिए, तथा निमार्ण सामग्री व मिट्टी के ढेर लगा कर खुले में नही रखना चाहिए अपितु उन्हें चारों तरफ से घेर कर रखा जाना चाहिए, जिससे हवा चलने पर निर्माण सामग्री व मिट्टी हवा में न उडे तथा आवश्यकतानुसार उस पर STP Water (Waste Water) का छिड़काव किया जाना चाहिए। तथा पुराने निर्माण को तोड़ने के समय उस बिल्डिंग को चारों तरफ से ढ़का होना चाहिए तथा थोड़ा थोड़ा तोड़ा जाना चाहिए, जिससे प्रदूषण कम हो।

सरकारी ठेकेदारों द्वारा सरकारी ठेके के लिए निर्माण व मरम्मत के लिए खुदाई की मिट्टी की सफाई तुरन्त की जानी चाहिए न कि उसे फैला कर छोड़ देना चाहिए अपितु उस पर पानी का छिड़काव भी कराते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त निर्माण सामग्री सार्वजनिक स्थान पर डाल कर ढेर नही लगाया जाना चाहिए अपितु आवश्यकतानुसार उतनी ही आवश्यक सामग्री लाकर काम करना चाहिऐ। साथ के साथ कार्य स्थल की सफाई करनी चाहिए ओर अगर कोई सामग्री रखना अति आवश्यक हो, तो उपरोक्त सावधानियॉं बर्तनी चाहिए। जैसे की उस सामग्री को ढ़क कर रखना, पानी का छिड़काव करके उसे हवा में उड़ने से बचाव करना तथा कम से कम स्थान को घेरना।

माल वाहक वाहन जैसे मिट्टी, रेत, बदरपुर, सीमेन्ट, कूडा-करकट, गारबेज आदि वाहन शतप्रतिशत तिरपाल से ढ़के होने चाहिए।

सभी शहरी क्षेत्रों में सड़क की सफाई वैक्यूम मशीन द्वारा रात्री में की जानी चाहिए, ताकि धूल न उड़े। तथा सड़को के किनारो में एकत्रित मिट्टी की भी सफाई करा कर उठाना चाहिए जिससे हवा के साथ व वाहनो के साथ न उड़े।

किसी भी परिस्थिति में कूड़ा-करकट व अन्य वस्तुओं को जलाने की अनुमति नही होनी चाहिए, क्योकिं यह भी प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है।

औद्योगिक इकाइयां जिनसे प्रदूषण निकलता है, वहां पर प्रदूषण की रोकथाम के नियमों का शक्ति से पालन कराया जाना चाहिए। जिसकी नियमित जांच भी होनी चाहिए। अति संवेदनशील प्रदूषण फैलाने वाली ईकाईयों को अलग से चिन्हित किया जाना चाहिए तथा उनपर एक अलग से नीति बना कर उपयुक्त कदम उठाये जाने चाहिए।

पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने के लिए जहॉं भी सम्भव हो वहॉं पर अभियान चला कर पेड़ लगाये जाने चाहिए तथा बाद में भी रख रखाव होना चाहिए।

प्रायः देखा गया है कि पुराने घरो में रेनोवेशन का कार्य कराते समय टूट फूट का कुड़ा सड़को पर ढ़ाल दिया जाता है जो कई कई दिनो तक ऐसे ही पढ़ा रहता है तथा हवा के साथ मिल कर प्रदुषण को बढ़ाता हैं ऐसे कुड़े को शीघ्र ही सड़को से हटाया जाना चाहिए तथा इसकी जवाबदेही मकान मालिक की होनी चाहिए।

शहर में चल रहे जनरेटर से बहुत अधिक प्रदूषण हो रहा है इस पर भी उपयुक्त कदम उठाने चाहिए तथा जहां पर भी जनरेटर का प्रयोग किया जा रहा है। उन सभी को गैस (सीएनजी व एलपीजी) से चलने वाले जनरेटरो का प्रयोग किया जाना चाहिए।

शहर में अनेक कंपनिया वायु व पानी का प्रदुषण अधिक कर रही है। तथा मानको के अनुसार उपयुक्त कदम नही उठा रही है उन्हे भी चिन्हित करके प्रदूषण कम करने के उपाय करने चाहिए।

हमें सैक्टरो की आर0डब्लू0ए0, स्कूलो व कॉलेज आदि के साथ मिल कर जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए जिससे नागरिको को प्रदुषण के प्रति सचेत किया जा सके।

शहर की सड़को पर चलने वाले वाहनो की भी नियमित प्रदुषण जांच की जानी चाहिए तथा मानको से अधिक प्रदुषण फैलाने वाले वाहनो पर नियमानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।