समाजसेवी की लड़ाई रंग लाई , हाथियों के बचाव को माने सुझाव

नॉएडा – कई वर्षों से जानवरों के शिकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे शहर के समाजसेवी श्री रंजन तोमर को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है , जिस तरह वह बाघों के शिकार सम्बन्धी और उनकी मृत्यु सम्बन्धी जानकारी आरटीआई के माध्यम से लगातार जनता तक पहुंचाते रहे थे  , उससे  सरकारों पर ज़िम्मेदारी का बोझ पड़ा और एक वेबसाइट इस सम्बन्ध में मंत्रालय को बनवानी पड़ी , जिसके बाद देखा गया के लगातार पिछले कई वर्षों से बाघों के शिकार में भारी कमी आई है , उसी तरह अब मंत्रालय हाथियों के शिकार और उनकी मृत्यु के कारणों सम्बन्धी भी एक वेबसाइट बना रही है , यह तब जब श्री तोमर ने एक पत्र पर्यावरण और वन मंत्रालय को इस बाबत मांग करते हुए लिखा।
गौरतलब है की श्री तोमर द्वारा पिछले कई वर्षों से विलुप्त और विलुप्तप्राय जानवरों के जीने के अधिकार की लड़ाई छेड़ रखी है  , इसमें बड़ा योगदान आरटीआई और उससे भी बड़ा योगदान मीडिया का है जिससे यह जानकारी आम जनता तक पहुँचती रही और जिससे केंद्र और राज्य सरकारों की जवाबदेही बढ़ी और उन्हें कड़े नियम बनाने पर मजबूर होना पड़ा।
मंत्रालय को लिखे पत्र में श्री तोमर ने कहा है की शिकारों और मृत्यु के कारण की जानकारी यदि जनता की जानकारी में होगी तो इससे शिकार घटने की गुंजाईश  ज़्यादा है  ,  जिस प्रकार बाघों के केस में हुआ है , इसलिए हाथियों के शिकार और मृत्यु के कारण की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए , जिसके जवाब में मंत्रालय के वैज्ञानिक श्री डॉक्टर के मुतहमीज़ ने कहा है की जल्द ही इस बाबत एक वेबसाइट बनाई जा रही है जिसमें हाथियों के साथ अन्य जानवरों के शिकार और मृत्यु के कारण दर्शाये जायेंगे।
इस जानकारी से पर्यावरण प्रेमियों के ह्रदय में ख़ुशी की लहर दौड़ गई  है ,  श्री तोमर का कहना है की यह बहुत बड़ी जीत है और इससे व्यापक स्तर पर बदलाव दिखाई देंगे।