विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं और कुछ रिकॉर्ड तोड़ देते हैं, ऐसी ही प्रेरक कहानी है मशहूर नृत्यांगना अर्पिता श्रीवास्तव की

टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (13 अगस्त 2023):

“मंजिलें उन्ही को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।”

मुसीबतें किसके जीवन में नही आती? मुसीबतें हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग है। कुछ लोग मुसीबतों का सामना नही कर पाते। कुछ लोग सामना करते हैं और थक कर बीच में ही हार मान लेते हैं। जबकि कुछ लोग कभी हार नही मानते और मुसीबतों से तब तक लड़ते रहते हैं, जबतक वो जीत ना जाते।

आज का लेख एक ऐसे ही संघर्षशील, कभी हार ना मानने वाली महिला के बारे में है । अर्पिता श्रीवास्तव एक ऐसा नाम है जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। कई कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी इन्होंने कभी हौसला नहीं हारा। टेन न्यूज से खास बातचीत में अर्पिता ने अपने जीवन के अनसुने पहलुओं को बताते हुए कहा कि, “फर्क बहुत है तेरी और मेरी तालीम में तूने सीखा है उस्तादों से और मैंने हालातों से।”

उन्होंने बताया कि, “8 जून 2009 को हम अपने कार से मथुरा वृंदावन के लिए जा रहे थे अचानक से एक बड़ी गाड़ी से हमारी कार टकरा गई और हमारा एक्सीडेंट हो गया। मुझे कुछ भी ध्यान नहीं था, मैं बहुत देर तक बेहोश थी। कोसीकला के हॉस्पिटल में हमें एडमिट कर दिया गया था। मेरे कमर के नीचे का भाग में इतनी असहनीय पीड़ा हो रही थी की उसे मैं आज तक नहीं भूल पाई हूं। हमे एम्स के ट्रामा सेंटर में एडमिट किया गया। लगभग 1 महीने मैं एम्स में भर्ती थी। मेरा पूरा परिवार मेरे साथ था सब ने मुझे बहुत सपोर्ट किया ।”

” मुझे एक सवाल हमेशा सताता रहता था कि मैं कब चल पाऊंगी कब उठ पाऊंगी मैं अपने पैरों पर कब खड़ी हो पाऊंगी ? मुझे शुरुआत से ही नृत्य में काफी रुचि रही है स्कूल कॉलेज में भी मैं डांस में पार्टिसिपेट करती थी।
मैंने अपने फिजियोथैरेपिस्ट को कहा कि यह सब जल्दी ठीक हो जाए तो मैं फिर से डांस सीख पाऊंगा। तो उन्होंने कहा कि आप अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ बिना किसी सपोर्ट के वही बहुत बड़ी बात है आप कभी डांस नहीं कर पाएंगी । यह बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए लेकिन मैंने ठान लिया था की मुझे ठीक होना पड़ेगा और मैं डांस करके रहूंगी । मैंने फिजियोथैरेपिस्ट के पास जाना बंद कर दिया फिर मैं सोची कि अब मुझे डांस के सहारे ही ठीक होना पड़ेगा। मैं खड़े होने की कोशिश करने लगी और उसके बाद मैंने कुछ दिन तक छड़ी के सहारे चली फिर वॉकर के सहारे। फिर मैने ठाना कि मैं छड़ी या वॉकर के सहारे नहीं चलूंगी। जब फिजियोथैरेपिस्ट के पास जाना बंद किया उसके 15 दिन बाद मैंने अपना डांस क्लास शुरू कर दिया और 2 सप्ताह के अंदर 10 से 12 औरतें और 15 बच्चे मेरे पास आ गया थे । ”

कहानी को आगे बढ़ाते हुए उन्होने कहा कि , ” आज तक किसी को नहीं पता मेरे पैरों में रॉड लगे हैं और मेरी उंगलियां खराब है मैं चाहती थी कि दुनिया को मेरी कमी दिखाई ना दे। 2 से 3 महीने मैं इतना समर्पण भाव से अपने मन को और अपने आप को समझाया कि मुझे मेरे पैरों को ठीक करना ही पड़ेगा और आज मैं हर वो चीज कर रही हूं जो कल तक सबको असंभव लगता था। आज मेरे डांस क्लास भी अच्छे से चल रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट लेवल डांस में मुझे गोल्ड मेडल मिला स्टेट लेवल में सिल्वर मेडलिस्ट रही और जनवरी में सुपरमॉम कैटेगरी में मैं गोल्ड मेडलिस्ट हूं , गौतम नगर में फर्स्ट सुपरमॉम बनी जो गोल्ड मेडल लाई । ”

अर्पिता श्रीवास्तव ने खास निवेदन किया है कि कभी भी अगर सड़क पर एंबुलेंस दिखे तो उसे साइड अवश्य दें ताकि किसी की जिंदगी बच सकें। अर्पिता श्रीवास्तव उतर प्रदेश डांस स्पोर्ट्स एसोसिएशन की सेक्रेटरी और डांस स्पोर्ट्स काउंसिल का मेंबर है। इन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी मुसीबत या लंबी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को उसकी सोच के साथ अकेले छोड़ देना उनकी मुश्किलों को बढ़ावा देने जैसा है। निराश व्यक्ति यदि खुद को कोस रहा है, तो आप उसे कहें कि ऐसे समय में ये विचार आते हैं। स्थिति इतनी बुरी नहीं है, कुछ बुरा नहीं होगा। हम आपके साथ हैं। बस आप भरोसा और हौसला रखें। सब ठीक होगा।।