लालबहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में ऊर्जा पर मंथन

मसूरी। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी में ऊर्जा के वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका और उसकी तैयारी जैसे विषय पर विश्व के अलग-अलग देशों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित किया। नागरिक-सैन्य संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऊर्जा की सर्वसुलभ उपलब्धता को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘ऊर्जा न्याय’ की अवधारणा चार बातों पर आधारित है।

पहला-अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की ऊर्जा की आपूर्ति तय हो, दूसरा- ऊर्जा की सक्षमता (एनर्जी एफिशियंसी), तीसरा- ऊर्जा के विविध प्रकारों पर्यावरण से अनुकूलता (एनर्जी सस्टेनिबिलिटी) को प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत विश्व में अग्रणी देश बन रहा है। चौथा- ऊर्जा की सुरक्षा (एनर्जी सिक्युरिटी) अर्थात उसकी उपब्धता एवं वितरण के मध्य ऐसी व्यवस्था खड़ी करना जिससे ऊर्जा संसाधन की हानि कम करते हुए उसका संचय बढ़ाया जा सके। जिससे सही मायनों में उस व्यक्ति को भी उसके हिस्से की ऊर्जा उप्लब्ध हो सके , जो अब तक नीतिगत एवं राजनीतिक उदासीनता के कारण उपेक्षित रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नीतिगत रूप से सभी सामाजिक बदलाव में ऊर्जा को सबसे बड़ा और अहम कारक मानती है।

यही वजह है कि विगत पांच वर्षों में ऊर्जा की बुनियादी आवश्यकता, उसके उत्पादन एवं उपभोग के मध्य सन्तुलन स्थापित कर सामाजिक विकास की नई क्रांति हर क्षेत्र में देखने को मिली है। फिर चाहे वह उज्ज्वला, सौभाग्य, गिव इटअप के जरिए लोगों के जीवन स्तर में आए गुणवत्तापूर्ण बदलाव की बात हो।

उज्ज्वला योजना विकासशील देशों के लिए वरदान

इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि जिस तरह भारत ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए सामाजिक बदलाव के बहुआयामी अध्याय लिखने में सफलता हासिल की है। फिर चाहे बारिश में भीगे ईंधन से रोटी बनाने को मजबूर महिला को धुएं से मुक्ति या फिर ग्रामीण भारत में योजना के लाभार्थियों विशेषरूप से महिलाओं के स्वास्थ्य में आए सकारात्मक बदलाव हों। हमने यह उपब्धियाँ मात्र सरकारी प्रयासों से हासिल नहीं की, बल्कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के साथ गैर सरकारी संगठनों ने इसे जमीन पर सफल बनाने के लिए जिस तरह का एकीकृत प्रयास किया, उससे विश्व के कई विकासशील देश इस मॉडल को अपनाने के इच्छुक हैं।

दरअसल भारत में उज्ज्वला योजना की सफलता के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण है, वह ऊर्जा की न्यायसंगत पहुंच बनाने वाली व्यवस्था को लेकर मोदी सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता है। क्योंकि किसी भी योजना की सफलता में विशेषज्ञता और उसमें लगने वाले संसाधन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण उसके पीछे का उद्देश्य होता है। मानवीय जीवन स्तर को ऊपर उठाने एवं सामाजिक कल्याण की सोच के साथ चलने वाली योजनाओं को अपनाने में समाज भी स्वयं आगे आता है।