By : करुणेश शर्मा
प्रिय सुशांत राजपूत
बंधुवर,
आपके जाने के समाचार से सभी स्तब्ध है दुखी है परन्तु मैं तुमसे बेहद गुस्सा हूँ। नौजवानों के प्रेरणा बने सुशांत जो संघर्ष की मिसाल बने। जिनकी फिल्मों से बहुत से दर्शकों का डिप्रेसन कम हुआ होगा ।आप ऐसा करेंगे मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। साहित्यकार,अदाकार, लेखक, गायक, संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोगों का जीवन देश और समाज को ही समर्पित रहता है उनको अपने जीवन को समाप्त करने का कोई अधिकार नहीं। वैसे भी आत्महत्या ही हत्या है। छिछोरे फ़िल्म ने विफलता से जूझने और जीवन से प्यार करने का संदेश देने वाला सुशांत अब शांत हो गया। इस घड़ी में दुःख व्यक्त करने के सिवा कुछ भी तो नहीं। जाना तो सब ने है कोई आज और कोई कल पर जो प्राकृतिक है वही स्वीकारिए है यही संस्कार है।