टेन न्यूज नेटवर्क
नोएडा (09/07/2022): कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। शासन से किताब नहीं मिलने पर पढ़ाई के लिए दीक्षा एप समेत दूसरे प्लेटफार्म का प्रयोग कर रहे परिषदीय स्कूल के छात्र इसे चरितार्थ कर रहे हैं।
खासकर तब जब सिस्टम ने बच्चों के भविष्य को उनके हाल पर ही छोड़ दिया हो। 3 महीने बाद भी स्कूलों में किताबें नहीं हैं, कोरोना महामारी के कारण पहले ही बीते दो सत्रों से प्रभावित चल रही शिक्षा व्यवस्था को रफ्तार देने के बजाय उन्हें पुराने ढर्रे पर ही छोड़ दिया गया है। कुछ शिक्षकों की मदद से अपने लक्ष्य पर फोकस कर रहे हैं।
संगीता सेक्टर 22 स्थित आदर्श कम कंपोजिंट विद्यालय में सातवीं की छात्रा है उनके घर में केवल एक ही मोबाइल है, वह मोबाइल भी उनको कम समय के लिए ही मिलता है। इसमें भी वह दीक्षा एप से परिषदीय स्कूलों की किताब खोल कर होमवर्क करती है। यह सब बताते समय उनकी आंखों में चमक थी वह बड़ी होकर एक अध्यापिका बनना चाहती है। उसके लिए पूरी लगन से पढ़ाई करती है, किताब न मिली तो ई बुक से पढ़ाई जारी रखी है। कोरोना कॉल के दौरान उनको दीक्षा ऐप से पढ़ाई जारी रखी है।
संगीता की तरह निशु अंजलि भी ईबुक से ही पढ़ाई कर रही हैं। सभी छात्रों के पास अपने मोबाइल नहीं है। कोई पापा तो कोई भाई से कुछ देर फोन लेकर पढ़ाई करते हैं। इसी तरह जिले के लगभग 511 सरकारी स्कूलों के सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं स्कूल में करीब 60 प्रतिशत छात्र के पास पुरानी किताबें हैं।
ऐश्वर्या लक्ष्मी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य फोकस स्कूलों में बेहतर शिक्षण पर है, कोरोना काल में बड़ी संख्या में छात्रों ने दीक्षा एप से पढ़ाई करना सीखा है। नए बच्चों को भी इस बारे में जानकारी दी जा रही है, सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं किताब शासन से उपलब्ध कराई जाए।