उम्मीदों का शहर आज 43 साल का हो गया ।
ये एक नज़ारा है उस शहर का जो समूचे उत्तर भारत में एक उम्मीदों के शहर के रूप में जाना जाता है। जी, हां ! आपने सही पहचाना ये है नोएडा जो आज अपनी 43वी वर्षगांठ मना रहा है। शहर की आबादी करीब 12 लाख होगी और इसमें से 8 लाख लोगों को उद्योग धंधों में रोजगार मिला हुआ है। आज भारत की कोई भी देसी विदेशी आईं टी कंपनी नहीं होगी जो यहां अपना कारोबार नहीं चलाती होगी।
उत्तर प्रदेश ने २० वीं सदी में कानपुर जैसे औद्योगिक शहर का पराभव देखा। आज हम स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की कल्पनाशीलता को याद करते हैं कि ४३ साल पहले उन्होंने इस शहर को दिल्ली के एक विकल्प के रूप में ओखला के पास एक औद्योगिक बस्ती के रूप में बसाने का सपना देखा।