ऑनलाइन दवाओं के बिक्री पर अंकुश लगाए सरकार, उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा!

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (21/04/2022): कंनफेडेरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) के संयोजक एवं सेक्टर 18 मार्किट ऐसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने कहा कि देश में अनेक बड़े विदेशी और देसी कॉरर्पोरेट कंपनियों द्वारा की जा रही ऑनलाइन बिक्री की जा रही है। एवं विभिन्न फ़ार्मेसी द्वारा ड्रग एवं कॉस्मैटिक क़ानून की लगातार अवहेलना करते हुए आपूर्ति की जा रही है। इन दवाइयों ने न केवल देश के करोड़ों थोक और खुदरा केमिस्टों के व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया है बल्कि उपभोक्ता विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को खतरे में डालते जा रहे हैं।

इस मुद्दे पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) दिल्ली एनसीआर ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से इस महत्वपूर्ण मुद्दे को तत्काल प्रभाव से संज्ञान में लेने का आग्रह किया है।

इस विषय की गंभीरता को देखते हुए कैट ने मई 2022 के पहले सप्ताह में देश के विभिन्न राज्यों की प्रमुख केमिस्ट एसोसिएशनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित करने का निर्णय लिया है। सम्मेलन इस मुद्दे पर भविष्य की कार्रवाई तय करेगा और इस बीच कैट का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेगा और उन्हें देश में ई-फार्मेसियों के नियम एवं क़ानून के स्पष्ट उल्लंघन के बारे में अवगत कराएगा।

सुशील कुमार जैन ने कहा की देश में दवाओं का निर्माण, आयात, बिक्री और वितरण औषधि और प्रसाधन सामग्री क़ानून और नियमों द्वारा नियंत्रित होता है। इस अधिनियम के नियम कड़े हैं और न केवल प्रत्येक आयातक, निर्माता, विक्रेता या दवाओं के वितरक के लिए एक वैध लाइसेंस होना अनिवार्य है, बल्कि यह भी अनिवार्य है कि सभी दवाओं को केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट द्वारा ही दिया जाए। उन्होंने कहा कि कई आनलाईन फार्मेसी घोर उल्लंघनों में सबसे आगे हैं और इन के मनमाने रवैये पर जल्द अंकुश लगना चाहिए।

संजय गुप्ता ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट व दिल्ली हाईकोर्ट ने तो ऑनलाइन दवा बिक्री पर रोक तक लगा रखी है मगर फिर भी सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रैंग रही है ।कानून सभी के लिए है मगर इन कॉर्पेरेटस ने कानून को अन्धा बना कर रख दिया है। आम दुकानदार इन सब के बीच पिसा जा रहा है। खुद अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड रहे हैं ।