गंगे मातरम ! नदी या नारी – नृत्य नाटिका की कल्पना कला केंद्र ने दी शानदार प्रस्तुति

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (25 दिसंबर 2022): दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में कल्पना कला केंद्र के 45 वें वार्षिकोत्सव एवं पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई के 95 वें जन्मदिवस जयंती के अवसर पर आयोजित नृत्य नाटिका ” गंगे मातरम्, नदी या नारी” की भव्यता पूर्वक, शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई।

कल्पना एवं निर्देशन
डॉ. कल्पना भूषण

प्रस्तुति
कल्पना कला केंद्र , सुपर्णा भूषण सूद और समीर भाटिया

सहयोग :
टेन न्यूज़ नेटवर्क
सत्या माइक्रो कैपिटल लिमिटेड
नवरत्न फाउंडेशन्

बता दें कि ‘गंगे मातरम्’ कार्यक्रम में मां गंगा को जो केवल एक नदी नहीं , भारतीय संस्कृति की धरोहर है, उसे एक नारी के जीवन एवं चारों आश्रम से जोड़ा गया, और कल्पना कला केंद्र द्वारा इस विलक्षण नृत्य नाटिका प्रस्तुति में यह संदेश दिया गया कि मां गंगा सतयुग में एक बच्ची की भांति कितनी पवित्र और निर्मल थी लेकिन कलयुग आते आते वह पूरी तरह प्रदूषित हो गई है। साथ ही यह संदेश दिया गया कि जिस प्रकार किसी घर में परिवार में छोटे बच्चे उस घर के बुजुर्गों का ध्यान रखते हैं, उनकी देखभाल करते हैं ठीक उसी प्रकार मां गंगा की देखभाल करना उन्हें पवित्र, निर्मल एवं शुद्ध रखना हम सभी लोगों का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।

मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व आईएएस अधिकारी एन.पी.सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि “किसी भी कलात्मक सर्जना ब्रह्म की सबसे विशिष्टतम कृत्य है। सर्जना की इच्छा जब ब्रम्ह के मन में पैदा हुई तभी इस संसार का उद्भव हुआ। इसलिए जिनके मन में सर्जना के बीज अंकुरित होते हैं, वो ब्रम्ह के सबसे प्रिय उपासक होते हैं। आज उसका नेतृत्व कल्पना भूषण जी कर रहे हैं इसलिए इन्हें शत शत प्रणाम करता हूं। आज का यह कार्यक्रम स्व अटल बिहारी बाजपेई जी के नाम से समर्पित करते है। वो सामाजिक चेतना के सर्जना तो करते ही थे परंतु उनकी भावनात्मक प्रतिभा भी इतनी बड़ी थी कि बहुत बड़े काव्य दृष्टांत थे।गंगा माता हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है, यह मात्र एक जलसमूह का प्रवाह नहीं है और ये सदियों से विश्व में एकमात्र भारत की संस्कृति ऐसी है जो प्रकृति में देवत्व का आरोपन करती है, देवत्व का बोध करती है। गंगा उसी पवित्रम तत्वों की प्रतिनिधि है जिसे हम मां के रूप में बोध करते हैं। हमारी संस्कृति हमेशा कहती है कि ये भूमि मेरी मां है और हम इसके पुत्र है इस बोध के साथ हमें दिन का प्रारंभ करना चाहिए। गंगा भारतीय संस्कृति की आत्मा है।” संबोधन के उपरांत कल्पना कला केंद्र की संचालिका प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना कलपना भूषण ने शॉल ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया।

इसी क्रम में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि टेन न्यूज नेटवर्क के संस्थापक गजानन माली ने “गंगे मातरम्” को व्याख्यायित किया। जिसके बाद वन्दे मातरम् के प्रारूप एवं धुन पर आधारित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कृष्ण कुमार गुप्त द्वारा , संस्कृत में रचित गीत “गंगे मातरम्” का गायन सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना डॉक्टर कल्पना भूषण – सुपर्णा भूषण सूद के द्वारा प्रस्तुत किया।

 

उक्त कार्यक्रम को लेकर प्रसिद्ध समाजसेवी सुबूही खान ने कल्पना कला केंद्र एवं कल्पना भूषण जी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि ” हमारे गुरुदेव कहते हैं कि यदि आप मां गंगा को साफ नहीं रखते और केवल उनकी पूजा करते हैं इसका अर्थ हुआ कि आप ‘शव का श्रृंगार कर रहे हैं’।”सुबुही खान ने टेन न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए आगे कहा कि सरकारें अपना काम कर रही है लेकिन कलयुग में मां गंगा को बचाना हम सबका भी धर्म है। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि हम नदी के 60 फीसदी पानी को छोड़ दें तो नदी स्वयं अपनी सफाई कर लेगी लेकिन नहीं हम उसमें से 85 फीसदी पानी निकाल लेते हैं और फिर उसमें मल मूत्र भी प्रवाहित करते हैं। तो ऐसे हम दोहरा पाप कर रहे हैं, हम सभी लोगों को गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के लिए कार्य करना चाहिए।

नवरत्न फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने टेन न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए कहा कि ” गंगा की जो वर्तमान स्थिति है वह चिंतनीय है, यदि गंगा खत्म हो जाएगी तो भारत का सांस्कृतिक चिन्ह खत्म हो जाएगा। ‘गंगे मातरम्’ कार्यक्रम ने हम सबों को झकझोड़ा है, मैं चाहता हूं कि ये थीम सभी राज्यों में सभी मंचों पर जाएं और सरकार इसे अधिग्रहित करे इनका मदद करे और गंगा सफाई के दिशा में कार्य करें।”

 

‘गंगे मातरम्’ कार्यक्रम में गंगा की रोल निभाने वाली सुपर्णा भूषण जो एक प्रसिद्ध मॉडल , एक्टर, शास्त्रीय नृत्यांगना और लेखिका हैं। उन्होंने कहा कि” मैं गंगा की भूमिका में थी और मैंने दिखाया है कि गंगा एक नारी की भांति चारों युग एवं चारों आश्रम में किस प्रकार की रही है। कलयुग की गंगा बहुत प्रदूषित है और इसे बचाने की आवश्यकता है।”

लगभग 75 कलाकारों द्वारा , 1:30 मिनट्स में प्रस्तुत इस नृत्य नाटिका में गीत , संगीत , स्क्रिप्ट विशेष कर सुपर्णा भूषण सूद , राम , पलक के नृत्यों ने दर्शक मंत्रमुग्ध एवं गंगामय हो गए।

अंत में सभी को गंगा की निर्मलता, अविरलता एवं उसकी पवित्रता को बचाने का संकल्प भी डॉक्टर कल्पना भूषण ने दिया ।