पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जनमानस पर बढ़ता प्रभाव | क्या कहते हैं जाने- माने बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी | TEN NEWS LIVE

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (18 जुलाई 2023): बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक कथावाचक और संत हैं। देशभर में आम जनमानस पर उनका व्यापक प्रभाव है, देश में लाखों – करोड़ों लोग हैं जो इनके अनुयायी हैं। बीते दिनों ही पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ग्रेटर नोएडा में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया, जिसमें लाखों लोग प्रतिदिन उनके कथा को सुनने आते थे और जिस तरह से लोगों में उनके प्रति आस्था और उत्साह देखा गया वह अविस्मरणीय है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का और बागेश्वर धाम का आम जनमानस पर प्रभाव बढ़ रहा है? क्या भक्तों की कामनाएं पूर्ण हो रही है, उनमें आत्मिक एवं आध्यात्मिक चेतना का विकास हो रहा है? या फिर करोड़ों लोगों के आकर्षण का कोई और कारण है?

इन सभी सवालों के जवाब को तलाशने के लिए टेन न्यूज की टीम ने समाज के कई प्रबुद्ध लोगों से इस पूरे प्रकरण पर विस्तार पूर्वक बातचीत की। टेन न्यूज नेटवर्क की खास पेशकस ‘परिचर्चा’ में अतिथि के रूप में नवरत्न फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव, प्रसिद्ध समाजसेवी आदित्य घिल्डियाल, एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा के उपाध्यक्ष एवं सनातन धर्म के पुरोधा अनिल शुक्ला उपस्थित रहे। वहीं इस कार्यक्रम का संचालन टेन न्यूज नेटवर्क की संवाददाता स्मृति ने की।

आम जनमानस पर बागेश्वर धाम के बढ़ते प्रभाव को लेकर नवरत्न फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि ” चमत्कार को नमस्कार किया जाता है, मैं 25 से भी ज्यादा ऐसे लोगों से मिला हूं जो आपका भविष्य आपको देखकर बता सकते हैं। धीरेंद्र शास्त्री में बनावटीपन नहीं है उनमें बहुत सहजता है। यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि धीरेंद्र शास्त्री शंकराचार्य के स्थान पर आ जाएंगे। राजनीति में आने के लिए धीरेंद्र शास्त्र खुद अपनी परिचय निकाले और बताएं कि वह राजनीति में आएंगे या नहीं। अखंड भारत निवेदन या प्रतिवेदन से नहीं होगा इसके लिए अनेकों फोर्स इस्तेमाल करने पड़ेंगे।”

इस मामले को लेकर प्रसिद्ध समाजसेवी आदित्य घिल्डियाल ने कहा कि “धीरेंद्र शास्त्री को सुपरनैचुरल पावर प्राप्त है जो कि कई करोड़ों लोगों में किसी एक को मिलता है। जो संत खुद को भी बहुत बड़े-बड़े बताते हैं वह स्वयं भी इनके पास आते हैं इससे यह तो पता चलता है कि इनमें कोई तो अद्भुत शक्ति है। मीडिया अक्सर इनसे घुमा फिरा कर सवाल करती है लेकिन ये हमेशा सवालों के सटीक जवाब देते हैं। मुझे नहीं लगता कि वह राजनीति में आएंगे। अखंड भारत का सपना एक दिन जरूर पूरा होगा अगर इसी सोच से हम लोग आगे बढ़े और चलते रहे।”

बातचीत में अपने पक्ष को रखते हुए अनिल शुक्ला ने कहा कि, “धीरेंद्र शास्त्री की तुलना शंकराचार्य से करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी , शंकराचार्य के वस्त्रों में बहुत शालीनता थी और यह काफी डिजाइनर वस्त्र पहनते हैं। क्रिकेट और राजनीति में पहले से कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते दोनों अनप्रिडिक्टेबल है। अखंड भारत के लिए हमें यह सोचना जरूरी है कि अभी का जो भारत है उसे कैसे संरक्षित रख सकते हैं।”

आज देश ही नहीं बल्कि विश्वभर में जो धीरेंद्र शास्त्री की ख्वाति है और जिस तरह से उनका प्रभाव आम लोगों पर है वह किसी से छुपा नहीं है। आज देश के सबसे व्यस्त कथावाचकों में से एक हैं पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, देश में लाखों करोड़ों लोग अपनी समस्या को लेकर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में आते हैं और अपनी हाजिरी लगाते हैं।

कौन हैं पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा पंज गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता राम कृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है। उनके घर में उनकी माताजी, उनकी एक बहन और एक छोटा भाई भी है। महाराज धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपना शुरूआती जीवन गांव में बिताया। उनका परिवार काफी गरीब था। जिसके कारण उन्हें मूलभूत सुख-सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ा। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को बचपन से ही आध्यात्मिक चीजों से काफी लगाव रहा है। जिसकी शिक्षा उन्होंने अपने दादाजी से प्राप्त की।

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के एक स्कूल से प्राप्त की। लेकिन बड़ी कक्षा में आने के बाद उन्हें गांव से 5 किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल में पढ़ने जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से बीए की पढ़ाई कंप्लीट की। लेकिन पढ़ाई में ज्यादा मन ना लगने के कारण उन्होंने अपने दादाजी से महाभारत, रामायण, भगवत कथा और पुराण महाकाव्य की शिक्षा ली और दरबार लगाना शुरू किया। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने हनुमान जी की साधना करनी शुरू कर दी और कम उम्र में ही कथित रूप से सिद्धि प्राप्त कर ली।।