स्पोर्ट्स सिटी में कंस्ट्रक्शन कंपनियों की लापरवाही और अनियमितता को लेकर नोएडा प्राधिकरण ने उठाया बड़ा कदम

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (16 अक्टूबर 2023): सर्वोच्च न्यायालय ने आम्रपाली ग्रुप ऑफ कंपनीज के मुद्दे पर अपने आदेश में कहा था कि “नोएडा प्राधिकरण ने यदि समय पर कार्रवाई की होती तो जनमानस के आवास का मुद्दा इतना गंभीर रूप नहीं लेता।”

आपको बता दें कि स्पोर्ट्स सिटी के मुद्दे पर CAG की कुछ गंभीर आपत्तियां आई थी जिसके उपरांत नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने एक सराहनीय पहल की है। स्पोर्ट्स सिटी में 70 % खेल-कूद की सुविधाएं और 30% में आवासीय एवं व्यवसायिक निर्माण का प्रावधान था। जिसके लिए संपूर्ण स्पोर्ट्स सिटी प्लॉट को कुछ बड़े डेवलपर्स को मूल आवंटी के रूप में दे दिया गया था। बिल्डर्स ने अनियमितता बरतते हुए 30 % आवासीय एवं व्यवसायिक भूखंड पर निर्माण अपने सब्सिडिरीज से करवा दिया बाकी भूमि पर खेल कूद की व्यवस्था विकसित नहीं की।

ज्ञातव्य हो कि स्पोर्ट्स सिटी के बड़े प्लॉट्स इसी मंशा से आवंटित किए गए थे कि वहां विश्वस्तरीय खेलकूद की सुविधाएं बने जिसके लिए नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सस्ते कीमत पर भूखंड आवंटित किए थे। स्पोर्ट्स सिटी 02, सेक्टर-150 जो लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किया गया था। इन भूखंडों पे टाटा गोदरेज, एटीएस जैसे बड़े नामों को दे दिया लेकिन वहीं 70% भूखंडों पर कुछ भी कार्य नहीं किया गया। उस भूखंड को मॉर्गेज कर उसपर लोन ले लिया। कंपनी ने ना तो उसका भुगतान किया और ना ही खेल कूद की सुविधाएं बनाई।लोटस ग्रींस ने ना तो उस 70% जमीन का भुगतान किया और ना ही खेल कूद की सुविधाएं बनाई और ना ही लेंडर के पैसे चुकाए। नोएडा अथॉरिटी के 1771 CR और लेंडर का क़रीब 1200 करोड़ उस जमीन पर बकाया है, इसी बीच लेंडर (विस्त्रा आईटीसीएल) NCLT के माध्यम से संपूर्ण 70% जमीन हड़पने की तैयारी कर रहा है। एन वक्त पर नोएडा अथॉरिटी ने 4th October 2023 को अपने वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल से NCLT में इंटरवेंशन लगवा दिया और लीज डीड एवं PTM की शर्तों के हिसाब से संपूर्ण स्पोर्ट्स सिटी के जमीन पर अपना पहला दावा ठोक दिया है। नोएडा अथॉरिटी के इस कदम के उपरांत बिल्डर्स के द्वारा NCLT का दुरुपयोग पर रोक लगेगी। CAG की आपत्तियों का निवारण अब उत्तर प्रदेश के लोक लेखा आयोग (PAC) कर रहा है जिसपर समाधान निकलने की संभावना बढ़ गई है और बिल्डर्स द्वारा NCLT का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा।।