धरती हिली , आँखे खुली ?

By Ramita Taneja
HR & POSH Consultant and Life Coach

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (09/11/2022): रात के लगभग दो बजे कुछ आवाज़ों ने मेरी नींद तोड़ी ! खिड़की से बाहर झांका तो देखा कुछ लोग खड़े थे, जब तक मैं कुछ सोच पाती वो “कुछ” से “बहुत” हो गए। लोगों की भीड़ बड़ती जा रही थी. मनुष्य की प्रवती है की भीड़ का हिस्सा बनने को सदा तैयार रहता है तो मैं भी बन गयी भीड़ का हिस्सा और घर के बाहर निकल गयीं।

वहाँ जा कर पाता चला की भूकंप के झटके महसूस किए जाने की वजह से लोग अपने अपने घरों के बाहर निकल आए थे। खूब चर्चा होने लगी, किसी ने ग्लोबल वॉर्मिंग का मुद्दा उठाया तो किसी ने पर्यावरण के बदलाव का, किसी ने इसे भगवान की चेतावनी कही तो किसी ने कल के ग्रहण का असर। फिर वही मनुष्य की प्रवती, किसी और पर डाल कर दोष खुद को बड़ा समझने की, और भीड़ का हिस्सा तो हम है ही , तो हमने भी कर डाली कुछ टिप्पड़ियाँ !

थोड़ी देर में डर कम और पिकनिक का माहौल ज़्यादा बन गया! किसी ने कह दी दो पंक्तियाँ ग़ालिब साहिब की और शुरू हो गयी गीतों की अंताक्षरी । पता ही नहीं पड़ा कब चाय की प्याली मेरे हाथ मैं थी और फिर वोहि मनुष्य की प्रवती, भीड़ का हिस्सा तो हम है ही. चाय की चुस्कियाँ ले डाली ।

वैसे उस नींद से भरी आँखों ने घर से मिलते हुए और कुछ उठाया हो ना हो मोबाइल फ़ोन उठा लिया था, भूकंप की खबर जल्द आने लगी. epicentre कहाँ था, भारत पर क्या प्रभाव फ़ोटो , क़हर वेगेरा वेगेरा सबके स्मार्ट फ़ोन पर बजने लगा ।सुबह भी होने को थी तो सब लोग अब घर को चले आए। भीड़ का हिस्सा तो हम है ही हम भी घर को आ गए ।

और रह गयी भीड़ पीछे।

ध्यान एक़त्रित किया तो एहसास हुए मनुष्य की दूसरी खूबी का, विचार उत्पन करने की खूबी

कुछ देर सोचा तो खुद से प्रशन किया की हम किस ड़र से घरों के बाहर गए थे, यही की भूकम की झटके इमारत तो शती पहुँचा सकते है या शायद इमारत को गिरा भी सकते है और तब यह एहसास हुआ की क्या इन घरों, इन महंगे महंगे अपर्टमेंट्स पर हमें भरोसा है ?

बाहर से यह आलीशान और ख़ूबसूरत दिखने वाली इन इमारतों की नीव कैसी है ? क्या यह डर भूकम्प का था या इमारत का भूकम्प के करण गिरने का?
…..और अगर गिरने का था तो क्या हमने कभी घर ख़रीदने के समय इस बात पर गौर किया की बिल्डर ने इस इमारत की क्या क्या सर्टिफ़िकेशन करवाए है ? क्या बिल्डर ने बीमा करवाया है ? क्या समय समय पर इमारत का इन्स्पेक्शन होता है ? क्या अथॉरिटीज़ बिल्डिंग गिरने से पहले भी कभी मुआवना करती है ? क्या बिल्डिंग के किसी कॉंट्रैक्ट पर यह लिखा है की किस डिग्री तक के भूकम्प के झटके तक यह सुरक्षित है या हम केवल यह देख कर तृप्त तो नहीं हो रहे की बाथरूम में जकूज़ी , पूरे घर मैं Ac और किचन मोडुलर है !

भगवान के क़हर हो या प्प्रकृति का बदलाव ज़िम्मेदार हम ही है , ज़िम्मेदार है हमारे कर्म! हमारी ज़िम्मेदारी बनती है पर्यावरण और समाजिक और दोनो ही बातों पर गौर करनी की ज़रूरत है, भागने से पहले जागने की ज़रूरत है और हाँ अगली बार जब भागे तो मोबाइल के साथ इन्शुरन्स के काग़ज़ ज़रूर ले कर भागें क्यूँकि सोते तो हम रहेंगे ही चाहे कोई कितना भी जगा ले।

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