हाई टेंशन लाइन के नीचे मकान क्यों ? हादसे के लिए ज़िम्मेदार कौन ?

आर एन श्रीवास्तव
पूर्व क़ानून अधिकारी
नोएडा प्राधिकरण

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (19//08/2023): एक अखबार की खबर यह बताती है की छत पर लिंटर डालते हुए उसकी सरिया हाई टेंशन लाइन को छू गई और तेज करंट के चलते मजदूर की मौत हो गई। शिकायत बिजली विभाग से है।आश्चर्यजनक यह है कि हाई टेंशन लाइन के नीचे मकान बनाने की अनुमति कहां से मिली। हाई टेंशन लाइन के आसपास एक निश्चित दूरी तक दोनों तरफ कोई निर्माण नहीं किया जा सकता।

सामान्यतः हाई टेंशन लाइन के नीचे केवल कम ऊंचाई के पेड़ों को रोपित किया जाता है। केवल बिलासपुर ही नहीं प्रदेश के अनेक शहरों के बाहर शहर की सीमा तोड़ती हुई जनसंख्या के लिए नए मकान की योजनाएं अनधिकृत कालोनियां बसाने वाले लोग और प्लाटिंग करने वाले लोग हाई टेंशन लाइन के नीचे की जमीन को भी बेच देते हैं और अपने घर का सपना लिए खरीदार उसे खरीद कर अपना घर बनाते हैं। अभी हाल में ही ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल की खिड़की पर खड़े बच्चे का हाथ खिड़की के बाहर से जा रही हाई टेंशन लाइन की तार को छू गया और उसे बच्चों को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े। ना ही हाई टेंशन लाइन वहां से हटाई गई है और न ही अस्पताल की तारों तक पहुंची को ध्वस्त किया गया है।महत्वपूर्ण प्रश्न यह अभी भी खड़ा है कि हाई टेंशन लाइन से इतनी कम दूरी तक अस्पताल की खिड़की कैसे पहुंच गई? पिछले चुनाव प्रचार के दौरान गौतम बुध नगर के कस्बे में जाने का मौका मिला। शहर का भ्रमण करते समय एक स्थान पर कुछ लोगों की भीड़ स्वागत के लिए एकत्र थी। बाकी सारी बातें बताने के बाद जब श्रोताओं के विचार सुनने की बारी आई तो एक ही शिकायत की गई कि उन लोगों के मकान हाईटेंशन लाइन के नीचे बसी हुई बस्ती में हैं और हाई टेंशन लाइन के संपर्क में आने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें अनेक लोगों की जान जा चुकी है।

बार-बार बिजली विभाग के अधिकारियों से और जिलाधिकारी से मिलने पर भी हाई टेंशन लाइन को वहां से नहीं हटाया जा रहा बल्कि हाईटेंशन लाइन के नीचे मकान बनाने वालों को मकान हटाने का नोटिस दे दिया गया है। यह बताया गया कि उस स्थान पर सैकड़ों मकान बन चुके हैं। यह कितना आश्चर्यजनक है कि हाईटेंशन लाइन के नीचे पूरी की पूरी बस्ती बस जाती है, परंतु किसी संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को इसकी खबर नहीं लगती और दुर्घटनाओं को आमंत्रित देते हुए घर तैयार हो जाते हैं। ऐसी घटनाओं के लिए स्थानीय निकाय के साथ-साथ बिजली विभाग के कर्मचारी अधिकारी भी बराबर के दोषी हैं। बिजली के तार के संपर्क में आने से मरने वाले के जीवन को केवल इसलिए अनदेखा नहीं किया जा सकता कि वह मकान अनधिकृत स्थान पर या बिना विधिवत नक्शे की स्वीकृति के बना था। शहरों में बढ़ती हुई जनसंख्या, गांव से शहरों की तरफ पलायन और शहर में अपना मकान बनाने का सपना इन सब दुर्घटनाओं के लिए का कारण है। जो भी हो प्रशासन को ऐसे निर्माण करने वालों को रोकने की सख्त कार्रवाई करनी ही चाहिए।